Vishwanath pratap singh biography in hindi
आज इस आर्टिकल में हम आपको विश्वनाथ प्रताप सिंह की जीवनी Vishwanath Pratap Singh Memoir Hindi के बारे में बताएगे।
विश्वनाथ प्रताप सिंह की जीवनी Vishwanath Pratap Singh Biography Hindi
विश्वनाथ प्रताप सिंह ( English Vishwanath Pratap Singh ) भारत के आठवें प्रधानमंत्री थे।
राजीव गांधी सरकार के पतन के कारण बने विश्वनाथ प्रताप सिंह ने आम चुनाव के माध्यम से 2 दिसम्बर, को प्रधानमंत्री पद प्राप्त किया था।
Vishwanath Pratap Singh बेहद महत्त्वाकांक्षी होने के अलावा कुटिल राजनीतिज्ञ भी कहे जाते हैं।
से में वे उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुँचे।
उन्होंने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का कार्यभार भी सम्भाला।
उनका मुख्यमंत्री कार्यकाल 9 जून, से 28 जून, तक ही रहा।
इसके बाद वे 29 जनवरी, को केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री बने।
विश्वनाथ प्रताप सिंह राज्यसभा के भी सदस्य रहे चुके है ।
31 दिसम्बर, को वे भारत के वित्तमंत्री भी बने।
विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में गोपाल इंटरमीडिएट कॉलेज की स्थापना की थी।
जन्म
Vishwanath Pratap Singh का जन्म 25 जून, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद ज़िले में हुआ था। उनके पिता का नाम बहादुर राय गोपाल सिंह था।
उनका विवाह 25 जून, को उनके जन्मदिन के दिन ही सीता कुमारी के साथ हुआ था।
उनके दो बेटे है। Vishwanath Pratap Singh ने इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में गोपाल इंटरमीडिएट कॉलेज की स्थापना की थी।
शिक्षा विश्वनाथ प्रताप सिंह की जीवनी
Vishwanath Pratap Singh ने कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, देहरादून से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और फिर उन्होने इलाहाबाद और पूना विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। वे से में उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी की विद्यार्थी यूनियन के अध्यक्ष भी रहे।
प्रताप सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्टूडेंट यूनियन में उपाध्यक्ष भी थे। में उन्होंने भूदान आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपनी ज़मीनें दान में दे दीं। इसके लिए पारिवारिक विवाद हुआ, जो कि न्यायालय भी जा पहुँचा था।
वे इलाहाबाद की अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अधिशासी प्रकोष्ठ के सदस्य भी रहे। राजनीति के अतिरिक्त उन्हे कविता और पेटिंग का भी शौक़ था। उनके कविता संग्रह भी प्रकाशित हुए और पेटिंग्स की प्रदर्शनियाँ भी लगीं।
विश्वनाथ प्रताप सिंह की दो कविताएँ इस प्रकार हैं-
मुफ़लिस
मुफ़लिस से अब चोर बन रहा हूँ
पर इस भरे बाज़ार से चुराऊँ क्या,
यहाँ वही चीज़ें सजी हैं
जिन्हें लुटाकर मैं मुफ़लिस हो चुका हूँ।
आईना
मेरे एक तरफ़ चमकदार आईना है
उसमें चेहरों की चहल-पहल है,
उसे दुनिया देखती है
दूसरी ओर कोई नहीं
उसे मैं अकेले ही देखता हूँ।
रचनाएँ विश्वनाथ प्रताप सिंह की जीवनी
- मुफ़लिस
- भगवान
- मैं और वक्त
- इश्तेहार
- क्षणिकाएँ
करियर
में कांग्रेस पार्टी का सदस्य बने रहते हुए सिंह उत्तर प्रदेश की वैधानिक असेंबली के सदस्य भी नियुक्त हुए।
इसके बाद में उनकी नियुक्ती लोक सभा में भी की गयी और फिर में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें कॉमर्स का डिप्टी मिनिस्टर भी बनाया।
से तक उन्होंने कॉमर्स का मिनिस्टर बने रहते हुए सेवा की थी।
में जब गाँधी पुनर्नियुक्त की गयी थी तब इंदिरा गाँधी ने उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया था।
से तक मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने बटमारी की समस्या को सुलझाने के लिए काफी प्रयास किये।
उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम इलाको के ग्रामीण भागो में यह समस्या गंभीर रूप से परिपूर्ण थी। इसके चलते उन्होंने बहुत से लोगो का भरोसा जीत लिया था और अपने इलाको में बहुत सी ख्याति प्राप्त कर ली थी। और कुछ समय बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
में फिर से उनकी नियुक्ती मिनिस्टर ऑफ़ कॉमर्स के पद पर की गयी थी।
इसके बाद के चुनाव में सिंह की वजह से ही बीजेपी राजीव गांधी को गद्दी से हटाने में सफल रही थी।
में उनके द्वारा निभाए गए महत्वपूर्ण भूमिका के लिए वे हमेशा भारतीय राजनीती में याद किये जाते है।
कहा जाता है की के चुनाव से देश में बहुत बड़ा बदलाव आया था और इसी चुनाव में उन्होंने प्रधानमंत्री बनकर दलित और छोट वर्ग के लोगो की सहायता की।विश्वनाथ प्रताप सिंह एक निडर राजनेता थे, दुसरे प्रधानमंत्रीयो की तरह वे कोई भी निर्णय लेने से पहले डरते नही थे बल्कि वे निडरता से कोई भी निर्णय लेते थे और ऐसा ही उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ गिरफ़्तारी का आदेश देकर किया था।
मृत्यु विश्वनाथ प्रताप सिंह की जीवनी
विश्वनाथ प्रताप सिंह गुर्दे और हृदय की समस्याओं से पीड़ित थे जिसकी वजह से उन्हे बॉम्बे अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था।76 वर्षीय सिंह के गुर्दे और दिल की बीमारियों का इलाज चल रहा था। आम तौर पर उनका नई दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल में या मुंबई के बॉम्बे अस्पताल में डायलिसिस होता था।
वे से ब्लड कैंसर जैसी बीमारी से भी जूझ रहे थे मगर इसके बावजूद उन्होंने सक्रिय राजनीतिक जीवन नहीं छोड़ा और 27 नवंबर को लंबी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई
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