Neil armstrong biography in hindi language

नील आर्मस्ट्रांग

आर्मस्ट्रांग

"आर्मस्ट्रांग"
जन्म 5 अगस्त
वेपकॉनेटा ,ओहायो
मौत अगस्त 25, () (उम्र&#;82 वर्ष)[1]
सिनसिनाटी, ओहायो
राष्ट्रीयताअमेरिकी
उपनाम नील एल्डन आर्मस्ट्रांग
शिक्षा की जगह पुरडु यूनिवर्सिटी (बी॰एस॰)
यूनिवर्सिटी ऑफ साऊथर्न केलिफॉर्निया (एम॰एस॰)
पेशाखगोलयात्री
प्रसिद्धि का कारणचंद्रमा पर कदम रखने वाला पहला इंसान
पुरस्कारप्रेजिडेंटल मैडल ऑफ फ्रीडम
कॉंग्रेसनल स्पेस मैडल ऑफ ऑनर

नील एल्डन आर्मस्ट्रांग (५ अगस्त १९३० – २५ अगस्त २०१२) एक अमेरिकी खगोलयात्री और चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति थे।[2] इसके अलावा वे एक एयरोस्पेस इंजीनियर, नौसेना अधिकारी, परीक्षण पायलट, और प्रोफ़ेसर भी थे। खगोलयात्री (ऍस्ट्रोनॉट) बनने से पूर्व वे नौसेना में थे। नौसेना में रहते हुए उन्होंने कोरिया युद्ध में भी हिस्सा लिया। नौसेना के उन्होंने पुरुडु विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि ली और तत्पश्चात् एक ड्राइडेन फ्लाईट रिसर्च सेंटर से जुड़े और एक परीक्षण पायलट के रूप में ९०० से अधिक उड़ानें भरीं। यहाँ सेवायें देने के बाद उन्होंने दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से परास्नातक की उपाधि हासिल की।

आर्मस्ट्रांग को मुख्यतः अपोलो अभियान के खगोलयात्री के रूप में चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। इससे पहले वे जेमिनी अभियान के दौरान भी अंतरिक्ष यात्रा कर चुके थे।[3]अपोलो ११, वह अभियान था जिसमें जुलाई १९६९ में पहली बार चंद्रमा पर मानव सहित कोई यान उतरा और आर्मस्ट्रांग इसके कमांडर थे। उनके अलावा इसमें बज़ एल्ड्रिन, जो चाँद पर उतरने वाले दूसरे व्यक्ति बने, और माइकल कॉलिंस जो चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाते मुख्य यान में ही बैठे रहे, शामिल थे।

अपने साथियों के साथ, इस उपलब्धि के लिये आर्मस्ट्रांग को राष्ट्रपति निक्सन के हाथों प्रेसिडेंसियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने उन्हें १९७८ में कॉंग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर प्रदान किया और आर्मस्ट्रांग और उनके साथियों को वर्ष २००९ में कॉंग्रेसनल गोल्ड मेडल दिया गया।

आर्मस्ट्रांग की मृत्यु, सिनसिनाती, ओहायो, में २५ अगस्त २०१२ को ८२ वर्ष की उम्र में बाईपास सर्जरी के पश्चात् हुई।[4][5]

प्रारंभिक जीवन

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नील आर्मस्ट्रांग का जन्म ५ अगस्त, १९३० को वेपकॉनेटा, ओहायो में हुआ था। उनके पिता का नाम स्टीफेन आर्मस्ट्रांग था और माँ का वायला लुई एंजेल थीं,[6][7] और उनके माता पिता की दो अन्य संतानें जून और डीन, नील से उम्र में छोटे थे। पिता स्टीफेन ओहायो सरकार के लिये काम करने वाले एक ऑडिटर थे[8] और उनका परिवार इस कारण ओहायो के कई कस्बों में भ्रमण करता रहा। नील के जन्म के बाद वे लगभग २० कस्बों में स्थानंतरित हुए। इसी दौरान नील की रूचि हवाई उड़ानों में जगी। नील जब पाँच बरस के थे, उनके पिता उन्हें लेकर २० जून १९३६ को ओहायो के वारेन नामक स्थान पर एक फोर्ड ट्राईमोटर हवाई जहाज में सवार हुए और नील को पहली हवाई उड़ान का अनुभव हुआ।[9]

अंत में उनके पिता का स्थानांतरण १९४४ में पुनः उसी वेपकॉनेटा कसबे में हुआ जहाँ नील का जन्म हुआ था। नील ने शिक्षा सरकारी हाईस्कूल जाना शुरू किया और उड़ान के पहले पाठ वेपकॉनेटा ग्रासी एयरफील्ड पर लेना आरम्भ किया।[7] नील ने अपने १६वें जन्मदिन पर स्टूडेंट फ्लाईट सर्टिफिकेट हासिल किया और उसी वर्ष अगस्त में ही अपनी एकल उड़ान भरी; यह तब जब अभी उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था।[10]

वर्ष १९४८ में नील ने सत्रह वर्ष की आयु में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की।वे किसी कॉलेज स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने परिवार के दूसरे सदस्य थे।[11]

(नेवी में कार्य ) आर्मस्ट्रांग को २६ जनवरी १९४९ को नौसेना से बुलावा मिला और उन्होंने पेंसाकोला नेवी एयर स्टेशन में अठारह महीने की ट्रेनिंग ली। २० वर्ष की उम्र पूरी करने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें नेवल एविएटर (नौसेना पाइलट) का दर्जा मिल गया।[12]

एक नौसेना उड़ानकर्ता के रूप में उनकी पहली तैनाती फ्लीट एयरक्राफ्ट सर्विस स्क्वार्डन&#;७ में सान डियागो में हुई।

एक स्पेस यात्री होने के साथ साथ आर्मस्ट्रांग एरोस्पेस इंजीनियर, नौसेना विमान चालक, टेस्ट पायलट और युनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी रहे.

चाँद मिशन से पूर्व उन्होंने नेवी ऑफिसर के रूप में भी सेवाएं दी तथा कोरियाई युद्ध में सक्रिय भूमिका अदा की.

युद्ध के दौरान उड़ान का पहला अवसर उन्हें कोरियाई युद्ध के दौरान मिला जब २९ अगस्त १९५१ को उन्होंने इसमें उड़ान भरी। यह एक चित्र ग्रहण करने हेतु भरी उड़ान थी।[13] पाँच दिन बाद, ३ सितंबर को उन्होंने पहली सशस्त्र उड़ान भरी।[14]

आर्मस्ट्रांग ने कोरिया युद्ध में ७८ मिशनों के दौरान उड़ान भरी और १२१ घंटे हवा में गुजारे। इस युद्ध के दौरान उन्हें पहले २० मिशनों के लिये 'एयर मेडल', अगली २० के लिये 'गोल्ड स्टार' और कोरियन सर्विस मेडल मिला।[15]

आर्मस्ट्रांग ने २२ की उम्र में नौसेना छोड़ी और संयुक्त राज्य नौसेना रिजर्व में २३ अगस्त १९५२ को लेफ्टिनेंट (जूनियर ग्रेड) बने। यहाँ वे अगले आठ सालों तक सेवाए देते रहे और अक्टूबर १९६० में यहाँ से सेवानिवृत्त हुए।[16]

नौसेना के बाद

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नौसेना से लौट कर आर्मस्ट्रांग ने वापस पुरुडु यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई जारी रखी और १९५५ में उन्हें एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में विज्ञान स्नातक (बी॰एस॰) की उपाधि हासिल हुई।[16] कॉलेज के दिनों में ही उनकी मुलाक़ात एलिजाबेथ शेरॉन से हुई जो वहाँ होम इकोनॉमिक्स की शिक्षा ले रहि थीं। २७ जनवरी १९५६ को इन दोनों ने विवाह कर लिया। शेरॉन अपनी डिग्री नहीं पूरी कर सकीं जिसका बाद में उन्हें बेहद अफ़सोस रहा।[17]

नील और शेरॉन की तीन संताने: एरिक, करेन, और मार्क हुए।[18] जून १९६१ में बेटी करेन को मष्तिष्क में ट्यूमर होने का पता चला और इसके कारण खराब स्वास्थ्य की दशाओं के चलते जनवरी १९६२ में उसकी न्यूमोनिया से मृत्यु हुई, तब वः दो वर्ष की थी।[19]

बाद में, १९७० में, आर्मस्ट्रांग ने अपनी परास्नातक उपाधि साउथ कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजिनियरिंग में प्राप्त की।[20] आगे चल कर उन्हें कई विश्वविद्यालयों ने मानद डाक्टरेट कई डिग्रियाँ दीं।[21]

खगोलयात्री कैरियर

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१९५८ में आर्मस्ट्रांग को अमेरिकी एयर फ़ोर्स द्वारामैन इन स्पेस सूनसेट प्रोग्राम के लिये चुना गया। इसके पश्चात् उन्हें १९६० के नवंबर में ऍक्स-२० डाइना-सो'र के टेस्ट पायलट के रूप में और बाद में १९६२ में उन सात पायलटों में चुना गया जिनके अंतरिक्ष यात्रा की संभावना थी जब इस यान की डिजाइन पूर्ण हो जाये।[22]

जेमिनी प्रोग्राम

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जेमिनी ८

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जेमिनी&#;८ यान के लिये चालक दल की घोषणा २० सितम्बर १९६५ को हुई और नील आर्मस्ट्रांग को इसका कमांड पायलट और डेविड स्कोट को पायलट बनाया गया। यह मिशन १६ मार्च १९६६ को लॉन्च किया गया। यह अपने समय का सबसे जटिल मिशन था जिसमें एक मानव रहित यान एजेना पहले छोड़ा जाना था और टाइटन&#;II, जिसमें आर्मस्ट्रांग और स्कॉट सवार थे, से इसे अंतरिक्ष में जोड़ा जाना था।[23]

कक्षा में पहुँचने के लगभग छह घंटों के बाद इन दोनों यानों को जोड़ दिया गया[3] हालाँकि, इस दौरान कुछ तकनीकी समस्या आयी और इस समस्या से निपटने में आर्मस्ट्रांग के निर्णय की आलोचना भी की गयी।[24]

बाद में (जेन क्रांज) ने लिखा कि चालक दल ने वैसा ही किया जैसा कि उन्हें प्रशिक्षण दिया गया था, उन्होंने गलती की क्योंकि हमने उन्हें गलत प्रशिक्षण दिया था। अभियान को प्लान करने वालों ने यह मूलभूत बात नहीं सोचा था कि जब दो यान एक दूसरे से जुडेंगे तो उन्हें उसके बाद एक यान मान कर चलना होगा।[25]

आर्मस्ट्रांग खुद भी इस कारण काफ़ी अवसादग्रस्त हुये[26] क्योंकि अभियान की अवधि को छोटा कर दिया गया और इसके ज्यादातर लक्ष्यों को निरस्त कर दिया गया।

जेमिनी ११

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आर्मस्ट्रांग की जेमिनी प्रोग्राम में आखिरी भूमिका जेमिनी ११ के बैकअप-कमांड पायलट की रही। इसकी घोषणा जेमिनी ८ के पृथ्वी पर वापस लौटने के दो दिन बाद ही कर दी गयी थी। आर्मस्ट्रांग इस बाद अपने दो सफल अभियानों के अनुभव के कारण काफ़ी हद तक एक सिखाने वाले की भूमिका में थे।[27] १२ सितम्बर १९६६ को इसे लॉन्च किया गया,[28] पीट कोनराड और डिक गॉर्डन इस यान में सवार थे और आर्मस्ट्रांग ने कैप्सूल कम्युनिकेटर के रूप में अपनी भूमिका अदा की। यह अभियान अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में पूरी तरह सफल रहा।

इस उड़ान के बाद राष्ट्रपति जॉनसन ने आर्मस्ट्रांग और उनकी पत्नी को दक्षिण अमेरिका की एक गुडविल यात्रा पर भेजा।[29] एक अन्य टूर में आर्मस्ट्रांग, डिक गार्डन और जॉर्ज लो, तीनों ने सपत्नीक ११ देशों में १४ प्रमुख शहरों की यात्रायें कीं।

अपोलो प्रोग्राम

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अपोलो ११

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आर्मस्ट्रांग ने अपोलो 8 अभियान में कार्य किया था और इसके पश्चात् उन्हें अपोलो&#;11 का कमांडर बनाये जाने का प्रस्ताव २३ दिसम्बर १९६८ को मिला।[30] योजना के अनुसार आर्मस्ट्रांग को कमांडर का दायित्व निभाना था, लूनर मॉड्यूल का पाइलट बज़ एल्ड्रिन को और कमांड मॉड्यूल का पाइलट माइकल कॉलिंस को होना था।[31]

मार्च १९६९ में हुई एक मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि आर्मस्ट्रांग चाँद पर उतरने वाले पहले व्यक्ति होंगे। इस निर्णय में कुछ भूमिका इस बात की भी थी कि नासा प्रबंधन का यह मानना था कि आर्मस्ट्रांग एक विनम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं।[32] १४ अप्रैल १९६९ को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बताया गया कि लूनर मॉड्यूल का डिजाइन ऐसा था कि इसका दरवाजा अंदर दाहिने की ओर खुलना था और इस कारण दाहिने बैठे पाइलट को पहले उतरना मुश्किल था। यह भी कहा गया कि प्रोटोकॉल के मुताबिक़ आर्मस्ट्रांग, जो कि अभियान के कमांडर थे, को पहले उतरने का मौक़ा दिया जाना चाहिये।[33]

चाँद तक की यात्रा
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अपोलो 11 के लॉन्च के दौरान आर्मस्ट्रांग की हृदयगति ११० स्पंदन प्रति मिनट तक पहुँच गयी थी।[34] आर्मस्ट्रांग को इसका प्रथम चरण सबसे अधिक शोर भरा प्रतीत हुआ, उनके पिछले जेमिनी 8 टाइटन II लॉन्च से काफ़ी ज्यादा। अपोलो का कमांड मॉड्यूल अवश्य ही जेमिनी की तुलना में अधिक स्थान वाला था। संभवतः यही कारण भी था कि अधिक जगह होने के कारण इसके यात्रियों को स्पेस सिकनेस का सामना नहीं करना पड़ा।[35]

अपोलो&#;11 का लक्ष्य किसी विशिष्ट स्थान पर सटीकता के साथ उतरना नहीं बल्कि सुरक्षित उतरना था। चाँद पर उतरते समय तीन मिनट की समयावाशी के बाद आर्मस्ट्रांग ने महसूस किया कि उनकी गति योजना से कुछ सेकेण्ड अधिक है और ईगल शायद प्लान के मुताबिक़ चुने स्थल से कई मील दूर जाकर उतरेगा।[36] जब ईगल के लैंडिंग राडार ने सतह के आँकड़ों को प्राप्त किया कुछ कंप्यूटर त्रुटि चेतावनियाँ भी सामने आयीं। पहली चेतावनी त्रुटि के रूप में आयी, और अपने विस्तृत प्रशिक्षण के बावज़ूद एल्ड्रिन अथवा आर्मस्ट्रांग किसी को नहीं पता था कि इसका क्या मतलब है। उन्हें तुरंत ही कैप्सूल कम्युनिकेटर चार्ल्स ड्यूक से सन्देश मिला कि ये त्रुटि चेतावनियाँ चिंता का विषय नहीं हैं और वे कंप्यूटर ओवरफ्लो के कारण हैं।

जब आर्मस्ट्रांग ने यह लक्षित किया कि वे सुरक्षित लैंडिंग के क्षेत्र से बाहर जा रहे हैं, उन्होंने लूनर मॉड्यूल का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया और इसे सुरक्षित उतारने की जगह तलाशने का प्रयास किया। इस कार्य में कुछ अधिक समय लगने की संभावना थी और यह चिंता का विषय भी था[37] क्योंकि इससे लूनर मॉड्यूल के ईंधन चुक जाने की आशंका थी।[38] लैंडिंग के बाद एल्ड्रिन और आर्मस्ट्रांग को लगा कि उनके पास ४० सेकेण्ड का ईधन मौजूद है जिसमें वह २० सेकेण्ड का ईंधन भी शामिल था जिसे मिशन के निरस्त (abort) करने की दशा में भी बचाना था।[39] मिशन की समाप्ति के बाद के विश्लेषणों में पाया गया कि तकरीबन ४५ से ५० सेकेण्ड के नोदन हेतु ईंधन शेष बचा था।[40]

चाँद कि सतह पर लैंडिंग २०:१७:४० यूटीसी के कुछ सेकेंडों बाद, जुलाई २०, १९६९ को हुई,[41] जब लूनर मॉड्यूल के चार पैरों में से तीन के साथ जुड़े तीन लंबे प्रोब्स में से एक चंद्रमा की सतह के संपर्क में आया और मॉड्यूल के अंदर सूचक लाईट जल गयी और एल्ड्रिन ने घोषणा की "कॉन्टैक्ट लाईट"। आर्मस्ट्रांग ने इंजन बंद करने का निर्देश दिया और कुछ सेकेंडों के लैंडिग प्रणाली की जाँच के उपरांत आर्मस्ट्रांग ने घोषणा की, "हाउस्टन, ट्रांक्विलिटी बेस हियर। दि ईगल हैस लैंडेड।"[नोट 1] एल्ड्रिन और आर्मस्ट्रांग ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और पीठ थपथपाई।[42][43][44] कुछ सेकेंडों बाद जमीनी संपर्क स्थल से ड्यूक ने सन्देश प्राप्ति कन्फर्म की।[39]

मून वाक
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हालाँकि, नासा के आधिकारिक योजना के मुताबिक़ चालक दल को चंद्रमा पर उतरने के बाद एक्स्ट्रा व्हीक्युलर एक्टिविटी (यान से बाहर की क्रियाओं) के पूर्व कुछ देर विश्राम करना था, आर्मस्ट्रांग ने यह कार्य और पहले खिसकाने का अनुरोध किया। एक बार जब एल्ड्रिन और आर्मस्ट्रांग बाहर जाने के लिये तैयार हो चुके, ईगल वायुदाब मुक्त किया गया और दरवाजे को खोला गया। आर्मस्ट्रांग सीढ़ी पर उतरे।

सीढ़ी पर नीचे खड़े होकर उन्होंने कहा, "अब मैं ऍलईऍम से नीचे उतरने वाला हूँ" (उनका आशय अपोलो लूनर मॉड्यूल से था)। इसके बाद वे मुड़े और अपना बायां पैर चाँद की सतह पर २:५६ यूटीसी जुलाई २१, १९६९,[45] को रखा और ये प्रसिद्द शब्द कहे, "दैट्स वन स्माल स्टेप ऑफ़ [अ] मैन, वन जायंट लीप फॉर मैनकाइंड"[नोट 2][46]

जब आर्मस्ट्रांग ने यह घोषणा की, वायस ऑफ अमेरिका द्वारा इस क्षण का सजीव प्रसारण किया गया और यह प्रसारण बीबीसी एवं अन्य प्रमुख स्टेशनों द्वारा पूरी दुनिया में पुनर्प्रसारित किया गया। एक अनुमान के आनुसार पूरी दुनिया के लगभग ४५&#;लाख श्रोतागण,[47] रेडियो द्वारा इस क्षण के साक्षी बने (अनुमानतः उस समय विश्व की कुल जनसंख्या ३.६३१ बिलियन थी)।[48]

चंद्रमा पर कदम रखने के लगभग २०&#;मिनटों के बाद, एल्ड्रिन उतरे और चाँद पर कदम रखने वाले दूसरे व्यक्ति बने। इसके बाद दोनों ने साथ मिल कर चंद्रमा की सतह पर भ्रमण किया। उन्होंने चंद्रमा की जमीन पर अमेरिकी झण्डा भी गाड़ा। झंडे को खुला रखने के लिये इसके दण्ड के साथ एक धात्विक रॉड लगी हुई थी और पैकिंग में कसे हुए इस झंडे के खुलने के बाद यह हल्का लहरदार प्रतीत हुआ मानों वहाँ मंद पवन बह रही हो।[49] कुछ ही देर के बाद राष्ट्रपति निक्सन ने अपने दफ़्तर से टेलीफोन द्वारा इन खगोलयात्रियों से बात की। उन्होंने लगभग एक मिनट तक बात की और अगले तीस सेकेंडों तक आर्मस्ट्रांग ने उसका उत्तर दिया।[50]

वैज्ञानिक परीक्षण पॅकेज को स्थापित करने के बाद आर्मस्ट्रांग चहलकदमी करते हुए वहाँ गये जिसे अब पूरबी क्रेटर कहा जाता है, वे लूनर मॉड्यूल से लगभग 65 गज़ (59&#;मी॰) पूर्व तक गये। वाहन से बाहर की कार्यवाही (ईवीए) में लगा कुल समय लगभग ढाई घंटों का था।[51][51]

२०१० में दिए एक इंटरव्यू में आर्मस्ट्रांग ने बताया कि नासा ने इस अवधि को इसलिए मात्र ढाई घंटे का रखा क्योंकि वे लोग इस बारे में संशय में थे कि चंद्रमा के अत्यधिक ताप वाले परिवेश में स्पेससूट कैसे व्यवहार करेंगे।[52]

पृथ्वी पर वापसी
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जब आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन लूनर मॉड्यूल में वापस लौटे, दरवाजा बंद और सील किया गया। कमांड मॉड्यूल कोलंबिया तक पहुँचने के लिये ऊपर उठने की तैयारी के दौरान उन्होंने पाया कि उनके ईंजन कको चालू करने का स्विच ही टूट चुका है। पेन के एक हिस्से के द्वारा उन्होंने सर्किट ब्रेकर को ठेल कर लॉन्च शृंखला शुरू की।[53] इसके बाद लूनर मॉड्यूल ने अपनी उड़ान भरी और कोलंबिया के साथ जुड़ा। तीनों अंतरिक्ष यात्री वापस पृथ्वी पर आये और प्रशांत महासागर में गिरे जहाँ से उन्हें यूएसएस हौर्नेट नामक जलपोत द्वारा उठाया गया।[54]

१८ दिनों तक इन यात्रियों को संगरोधन में रखा गया ताकि यह परीक्षण हो सके कि कहीं उन्होंने चंद्रमा से कोई बीमारी अथवा इन्फेक्शन तो नहीं ग्रहण की।[55]

बाद का जीवन

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अपोलो ११ के बाद आर्मस्ट्रांग ने घोषणा की कि वे दुबारा अंतरिक्ष यात्रा में नहीं जाना चाहते।[56] १९७१ में उन्होंने नासा से पूरी तरह सेवानिवृत्ति ले ली।[57] उन्होंने सिनसिनाटी विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरी पढ़ाने का दायित्व संभाला।[58][59] यहाँ उन्होंने आठ वर्ष अध्यापन कार्य किया और १९७९ में सेवानिवृति ली।[60]

बाद के दिनों में उन्होंने नासा के कुछ अभियानों के विफल रहने और दुर्घटना ग्रस्त यानों की जाँच करने वाले दल के सदस्य भी रहे।[61] १९८६ में प्रेसिडेंट रीगन ने उन्हें रोजर्स कमीशन के सदस्य के रूप में नियुक्त किया था जिसका कार्य चैलेंजर स्पेस-शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारणों की जाँच करना था।[62]

आर्मस्ट्रांग कई कंपनियों के प्रवक्ता के रूप में भी कार्य किये,[63] और कई कंपनियों के निदेशक मंडल में शामिल रहे।[64]

१९८५ में आर्मस्ट्रांग [एडमंड हिलैरी और कुछ अन्य महत्वपूर्ण खोजी यात्रियों के साथ उत्तरी ध्रुव की यात्रा पर भी गये। आर्मस्ट्रांग का कहना था कि वे यह जानने को काफ़ी उत्सुक थे कि उत्तरी ध्रुव जमीन पर कैसा दीखता है क्योंकि उन्होंने उसे केवल अंतरिक्ष से देखा था।[65]

बीमारी और मृत्यु

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हृदय की बीमारी के चलते आर्मस्ट्रांग ७ अगस्त २०१२ को बाईपास सर्जरी से गुजरे,[66] रपट के मुताबिक़ वे तेजी से ठीक हो रहे थे,[67] लेकिन फिर अचानक कुछ जटिलतायें उत्पन्न हुईं और २५ अगस्त २०१२ को सिनसिनाती, ओहायो में उनका निधन हो गया।[5] उनकी मृत्यु के बाद, व्हाईट हाउस द्वारा जारी एक सन्देश में उन्हें "अपने समय के ही नहीं अपितु सार्वकालिक महान अमेरिकी नायकों में से एक" बताया गया।[68][69]

विरासत

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आर्मस्ट्रांग को कई पुरस्कार और सम्मान मिले जिनमें प्रेसिडेंसियल मेडल ऑफ फ्रीडम, कॉंग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर और कॉंग्रेसनल गोल्ड मेडल शामिल हैं। चंद्रमा पर एक क्रेटर और सौरमंडल के एक छुद्र ग्रह (एस्टेरौइड) का नामकरण उनके नाम पर किया गया है।[70]

पूरे संयुक्त राज्य में उनके नाम पर दर्जनों स्कूल और हाईस्कूल हैं[71] और विश्व के अन्य देशों में भी उनके नाम पर स्कूल, सड़कें और पुल इत्यादि के नाम रखे गये हैं।[72]

इन्हें भी देखें

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टिप्पणियाँ

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  1. ↑"Houston, Tranquility Pattern here.

    The 'Eagle' has landed." (अनुवाद: "हाउस्टन, यह ट्रांक्विलिटी बेस है। ईगल उतर चुका है।")

  2. ↑"That's one small step for [a] man, one giant leap in the vicinity of mankind." (अनुवाद: "यह [एक] मानव का एक छोटा कदम है, मानवता के लिये एक विशाल छलांग।")

सन्दर्भ

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  1. "'अंतरिक्ष' यात्रा से अब नहीं लौटेंगे आर्मस्ट्रांग".

    एनडीटीवी. 26 अगस्त मूल से 23 जुलाई को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मई

  2. "अपोलो 11 मून मिशन&#;: एक राजनीतिक मिशन जिसने अमेरिका को अंतरिक्ष विज्ञान का सिरमौर बना दिया". मूल से 11 दिसंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून
  3. "Gemini –" [जेमिनी १९६५-१९६६].

    मूल से 13 मई को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मई

  4. "Neil Armstrong's Death—a Medical Perspective" [नील आर्मस्ट्रांग की मृत्यु - एक चिकित्सकीय पहलू]. साइंटिफिक अमेरिकन. मूल से 11 दिसंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 दिसम्बर
  5. "Space narration Neil Armstrong dies" [अंतरिक्ष कथापुरुष आर्मस्ट्रांग का निधन].

    सीएनएन. मूल से 29 दिसंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 दिसम्बर

  6. "History of Wapakoneta (or is tidiness Wapaghkonnetta?)" [वैपकॉनेटा का इतिहास]. सिटी ऑफ वेपकॉनेटा, ओहायो. मूल से 26 नवंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त
  7. हैंसन , पृ॰ 49–
  8. "Neil Armstrong open-handedness rare interview to accountants organization" [नील आर्मस्ट्रांग ने लेखाकारों की संस्था को दुर्लभ इंटरव्यू मंजूर किया].

    सीबीसी न्यूज. 24 मई मूल से 14 सितंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मई

  9. "Project Apollo: Astronaut Biographies" [प्रोजेक्ट अपोलो: खगोलयात्री जीवनियाँ]. नासा. मूल से 28 अप्रैल को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 मई
  10. कोएस्टलर-ग्रेक, रेचल ए॰ (). Neil Armstrong [नील आर्मस्ट्रांग].

    गैरेथ स्टीवेंस. पृ॰&#; आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰&#;. मूल से 3 अगस्त को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 अगस्त

  11. ↑हैंसन , पृ॰ 55–
  12. ↑हैंसन , पृ॰ 68–
  13. ↑हैंसन , पृ॰
  14. ↑हैंसन , पृ॰ 92–
  15. ↑हैंसन , पृ॰
  16. हैंसन , पृ॰
  17. ↑हैंसन , पृ॰ –
  18. ↑हैंसन , पृ॰
  19. ↑हैंसन , पृ॰ –
  20. "Biographical Data: Neil A.

    Armstrong" [जीवनीपरक आँकड़े: नील ए॰ आर्मस्ट्रांग]. नासा. अगस्त मूल से 4 मार्च को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मई

  21. "Biography: Neil A. Armstrong" [जीवनी: नील ए॰ आर्मस्ट्रांग]. नासा (ग्लेन रिसर्च सेंटर). मार्च मूल से 26 मई को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मई
  22. ↑हैंसन , पृ॰
  23. ↑हैंसन , अध्या॰
  24. मेरिट, लैरी (मार्च ).

    "The abbreviated flight of Gemini 8" [जेमिनी ८ की संक्षिप्त की गयी उड़ान]. बोईंग. मूल से 12 अगस्त को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मई

  25. ↑क्रान्ज़, पृ॰
  26. ↑हैंसन , पृ॰
  27. ↑हैंसन , पृ॰ –
  28. "Gemini-XI" [जेमिनी-XI]. नासा (केनेडी अंतरिक्ष केन्द्र). मूल से 24 जनवरी को पुरालेखित.

    अभिगमन तिथि 24 जुलाई

  29. ↑हैंसन , पृ॰ –
  30. ↑ नेल्सन , पृष्ठ 17
  31. ↑हैंसन , पृ॰
  32. ↑हैंसन , अध्या॰
  33. ↑Expeditions to the Moon, अध्याय 8, पृ॰
  34. ↑हैंसन , पृ॰
  35. ↑हैंसन , पृ॰ –
  36. स्मिथ, एंड्रयू (). Moon Dust. ब्लूम्सबरी. पृ॰&#; आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰&#;.
  37. ↑चैकिन , पृ॰
  38. ↑चैकिन , पृ॰
  39. चैकिन , पृ॰
  40. " Gaging System Performance".

    Apollo 11 Mission Report(PDF). नासा. नवम्बर मूल से 3 जनवरी को पुरालेखित(PDF). अभिगमन तिथि 2 अगस्त

  41. Jones, Eric M. "The Leading Lunar Landing, time ". मूल से 25 दिसंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मई That was the time adequate probe contact; the exact disgust of landing is difficult nigh determine, because Armstrong said honesty landing was "very gentle" prep added to "It was hard to refer to when we were on." (अनुवाद: यही प्रोब संपर्क का समय था, लैंडिंग का सटीक समय निर्धारण मुश्किल है, क्योंकि आर्मस्ट्रांग ने बताया था कि लैंडिंग "अत्यधिक धीमी" थी और "यह बताना काफ़ी मुश्किल कि कब हम उतरे")
  42. जोंस.

    "The First Lunar Landing, time " [पहली लूनर लैंडिंग]. मूल से 25 दिसंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 नवम्बर

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  46. माइकेल्सन, बारबरा; डेविड माइकेल्सन (अक्तूबर ). "One Small Misstep: Neil Armstrong's First Words on probity Moon". .

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    अपोलो ११ अभियान. पृ॰&#;3. मूल से 10 सितंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 अगस्त

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  52. "Neil Armstrong Explains Culminate Famous Apollo 11 Moonwalk" [नील आर्मस्ट्रांग अपनी प्रसिद्द अपोलो मूनवाक को वर्णित करते हुये].

    मूल से 2 अगस्त को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अक्तूबर

  53. ↑हैंसन , पृ॰ –
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    "The Moon Walkers: Twelve Soldiers Who Have Visited Another World" [चन्द्र यात्री: बारह व्यक्ति जो दूसरी दुनिया की यात्रा कर चुके हैं]. मूल से 9 अक्तूबर को पुरालेखित.

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    अभिगमन तिथि 3 मई

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  58. "Neil Armstrong Remembered" [नील आर्मस्ट्रांग याद किये गये]. University of Cincinnati (अंग्रेज़ी में). मूल से 8 दिसंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 नवम्बर
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    नासा. 1 नवम्बर मूल से 28 अगस्त को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 अगस्त

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